Yadein Shayari : Shor na Kar Dhadkan Jara
Yadein Shayari : Shor na Kar Dhadkan Jara
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Yadein Shayari |
उनसे मिलने की चाह सुकून तबाह कर गई,
आहट दरवाज़े की हुई तो उठकर देखा,
मज़ाक हमसे हवा कर गई।
शोर न कर धड़कन ज़रा,
थम जा कुछ पल के लिए,
बड़ी मुश्किल से मेरी आखों में उसका ख्वाब आया है।
मुझे नींद की इजाज़त भी उसकी यादों से लेनी पड़ती है,
जो खुद तो सो जाता है, मुझे करवटों में छोड़ कर।
दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूं,
प्यार का उसे पैगाम क्या दूं.
इस दिल में दर्द नहीं, उसकी यादें हैं,
अब यादें ही दर्द दे तो उसे क्या इल्ज़ाम दूं।
एक दिन हमारे आंसुओ ने हमसे पूछा,
हमें रोज़ रोज़ क्यों बुलाते हो,
हम ने कहा, हम 'नाम-ऐ-हुसैन लेते हैं,
तुम तो खुद ही चले आते हो।
एक आह जो दिल को रुला दे,
एक वाह जो मन को बहला दे,
एक राह जो मंजिल को मिला दे,
और एक मैसेज, जो अपनों की याद दिला दे।
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