Love Poetry in Hindi : Bahut Yaad Aa Rahe Ho Tum
Love Poetry in Hindi : Bahut Yaad Aa Rahe Ho Tum
Love Poetry in Hindi |
दूर होकर भी न जाने क्यू पास आ रहे हो तुम।
चुना था मैंने तुम्हे जब तुम्हारी सारी बत्तमीजियो के साथ।
वो वक़त भी और था जब हम तुम थे जब साथ साथ।
बुक्स लेने के बहाने अक्सर घर पर आ जाया करते थे।
जनाब वक़्त बेवक़्त गली में हॉर्न भी बजाया करते थे।
फिर अचानक खो गया वो बुक्स लेने - देने का सिलसिला।
और मेरी गालिया भी सुनसान सी हो गयी।
पता किया दोस्तों से तुम्हारी तो पता चला की,
एक नयी ज़िन्दगी बसाने जा रहे हो तुम,
जाना आज फिर बहुत याद आ रहे हो तुम,
दूर होकर भी न जाने कियू पास आरहे हो तुम।
चलो तुम्हे एहसास तो हुआ उस वेवफाई का,
जो तुमने मेरे साथ की थी उलझे हुए रिश्ते को सुलझाने की कोशिश
पहली बार की थी,
पर अब वक़त भी निकल चुका था और हालत भी मेरे बस में न थे,
मेरे हाथो में लगी थी मेहंदी और शादी के कार्ड भी बट चुके थे।
चाहा कर भी उस बेवफाई की कीमत अब नहीं चूका पाओगे,
और अब तुम मुझे अपना किसी भी हालत में नहीं बना पाओगे,
ये सब कुछ जानते हुए भी मुझे को आज़मा रहे हो तुम,
जान आज फिर बहुत याद आ रहे हो,
दूर होकर भी नजाने कियू पास आरहे हो तुम,
जाना आज फिर बहुत याद आ रहे हो तुम।
मोहब्बत तो खूब देखी तुमने मेरी पर जाना नफरत अभी बाकि हैं।
दिल से निकले शब्दों को अक्सर पन्नो पर उतार लेती हूँ।
इसी तरह अपने दिल के दर्दो की भराश निकाल लेती हूँ।
दर्द तो इतने हैं लगता हैं पन्ने भरते ही चले जायेंगे।
पर तेरे दिए जख्मों का भरना अभी बाकी हैं।
मोहब्बत तो खूब देखी तुमने मेरी पर जाना नफरत अभी बाकि हैं।
फलक के सपने दिखाकर जमीं का ना भी तुमने छोड़ा मुझे।
शतरंज की बाजी बताकर खूब लूटा तुमने मुझे।
समझ रही थी मैं जिसे एक खेल महज।
उस खेल की चाल असल जिंदगी में चल रहे थे तुम।
पर जनाब इतना खुश होना भी अच्छा नहीं क्योकिं।
तब चाल चली थी तुमने अभी हमारा चाल चलना बाकी हैं।
मोहब्बत तो खूब देखी तुमने मेरी पर जाना नफरत अभी बाकि हैं।
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