A Lovely Poem : Anubhav Kahta Hai...
A Lovely Poem : Anubhav Kahta Hai...
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| A Lovely Poem |
खामोशियाँ ही बेहतर हैं,
शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं..
जिंदगी गुजर गयी..
सबको खुश करने में..
जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,
जो अपने थे वो कभी खुश नहीं हुए..
कितना भी समेट लो..
हाथों से फिसलता ज़रूर है..
ये वक्त है साहब..
बदलता ज़रूर है..
🙏🌺🙏


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