Dard Shayari : Wo Kah Gaye Mera Intezar Mat Krna
Dard Shayari : Wo Kah Gaye Mera Intezar Mat Krna
Dard Shayari |
Meri Har Dua Tumhari Muskurahat Ke Liye Hai,
Tumhari Har Adaa Mere Dil Ko Churane Ke Liye Hai,
Ab To Meri Zindagi Tumhare Intezar Ke Liye Hain.
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है,
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद,
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है..!
सब कुछ मिला सुकून की दौलत न मिली,
एक तुझको भूल जाने की मोहलत न मिली,
करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर,
हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली।
खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में,
माँगा था जिसे हमने दिन रात दुआओं में,
तुम छत पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकला,
ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में।
Wo Kah Gaye Mera Intezar Mat Krna,
Main Kahu Tu Bhi Mera Aitbar Mat Karna,
Ye Bhi Kaha, Unhe Pyar Nahi Mujhse,
Aur Ye Bhi Kah Gaye Kisi Aur Se Pyar Mat Karna.
No comments